भुवनेश्वर, 14 जुलाई (आईएएनएस)। राष्ट्रपति द्रौपदी मुरमू ने अखिल भारतीय चिकित्सा विज्ञान संस्थान, भुवनेश्वर के 5 वें वार्षिक दीक्षांत समारोह को संबोधित किया।
उन्होंने खुशी व्यक्त की कि ऐम्स भुवनेश्वर ने पिछले 12 वर्षों में उल्लेखनीय प्रगति की है। उन्होंने कहा कि चाहे वह रोगी देखभाल, चिकित्सा अनुसंधान या सामाजिक कल्याणकारी गतिविधियाँ हों, संस्थान ने कई प्रशंसा अर्जित की है। ऐम्स भुवनेश्वर न केवल ओडिशा, बल्कि पश्चिम बंगाल, छत्तीसगढ़, झारखंड और अन्य पड़ोसी राज्यों में भी गुणवत्ता स्वास्थ्य सेवा और सामाजिक कल्याण गतिविधियों में जनता का विश्वास जीतने में सक्षम रहे हैं।
उन्होंने कहा कि पिछले एक वर्ष में, एम्स भुवनेश्वर में 1 मिलियन से अधिक आउटडोर रोगियों का इलाज किया गया है, जबकि 17 लाख नैदानिक परीक्षण और 25,000 सर्जरी की गई है। देश के विभिन्न हिस्सों में स्थापित एमिम्स नवीनतम चिकित्सा विज्ञान और अनुभवी चिकित्सकों के माध्यम से स्वास्थ्य सेवा प्रदान कर रहे हैं। इन संस्थानों में, लोगों को कम लागत पर गुणवत्ता चिकित्सा सुविधाएं मिल रही हैं।
उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि एम्स की सफलता के कारण भारत दुनिया में एक प्रमुख स्वास्थ्य सेवा केंद्र बन जाएगा।
राष्ट्रपति ने कहा कि समाज में अवसाद एक गंभीर समस्या बन रहा है। दवा के साथ, अवसाद के उपचार के लिए जागरूकता भी आवश्यक है। जीवनशैली में बदलाव से मानसिक शांति मिल सकती है। योग और प्राणायाम मानसिक स्वास्थ्य में सहायक हो सकते हैं। मोटापा भी चिंता का विषय है, जो जीवन शैली से जुड़ा है। अनुशासित दिनचर्या, भोजन में सुधार और नियमित व्यायाम में सुधार किया जा सकता है।
उन्होंने डॉक्टरों से आग्रह किया कि वे लोगों को स्वस्थ जीवन शैली के लाभों से अवगत कराएं। उन्होंने कहा कि आदिवासी समाज में दो बीमारियां प्रमुख हैं, जिनमें से एक जापानी एन्सेफलाइटिस है और दूसरा सिकल सेल एनीमिया है। सरकार ने इस दिशा में कई कदम उठाए हैं। डॉक्टरों को इन बीमारियों के इलाज के लिए जितना संभव हो उतना शोध करना चाहिए।
राष्ट्रपति को यह जानकर खुशी हुई कि विश्व स्वास्थ्य संगठन ने ऐम्स भुवनेश्वर को सम्मानित किया। संस्थान ने लगातार पांच वर्षों के लिए उत्कृष्ट स्वच्छता और अन्य अस्पताल सेवाओं के लिए राष्ट्रीय कायाकल्प पुरस्कार भी प्राप्त किया है।
-इंस
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